फ़ॉलोअर

सोमवार, 3 फ़रवरी 2014

हासिल ऐ जिंदगी में पिता का शुभ स्मरण

घटना लगभग तीस पैतींस वर्ष पुरानी है । मुझे अपनी कक्षा तो याद नहीं लेकिन इतना याद है कि अंक गणित में गुणा भाग सिखाये जा रहे थे (अब बोले तो मल्टिप्लिकेशन)।

पिताजी गणित के सामान्य नियम पढाया करते थे और उसके बाद अभ्यास के लिये कुछ प्रश्न देते जिनका मूल्यांकन करते हुये यह निष्कर्श निकाला करते थे कि बताये हुये का कितना हिस्सा समझ में आया । आज भी मुझे याद है कि गुणा करने का कोई आसान प्रश्न था जिसे अभ्यास के दौरान मैने किया था मसलन 37 गुणा 5 । इसे हल करने का जो तरीका बताया था वह था पहले 5 का पहाडा 7 बार पढो यानी पांच सत्ते पैंतीस (यानी फाइब सेवन जा थर्टी फाइब) और पैतीस का हासिल आया तीन (हासिल बोले तो थर्टी फाइब का कैरी थ्री) उसके बाद पांच तिंया पन्द्रह (यानी फाइब थ्री जा फिफ्टीन) और हासिल तीन जोडकर हुआ अट्ठारह उत्तर हुआ 185 जो इसका सही उत्तर था।

मुझे याद है कि पिताजी इसके पहले भी कई बार मुझे यह बता चुके थे कि गुणा करते समय हासिल बाद में जोडा जाता है और अनेक अभ्यास प्रश्न भी हल करवा चुके थे। मैने प्रश्न हल करने में बस इतनी गलती की 5 का पहाडा 7 बार पढा यानी पांच सत्ते पैंतीस और उसके बाद पांच तिंया पन्द्रह और मिलाकर लिख दिया 1535 हासिल का हिसाब भूल गया ।
जब हल किया हुआ जवाब पिताजी ने देखा इस बार उनका धैर्य जवाब दे गया और उन्होंने एक जोरदार थप्पड रशीद किया और कहा
"सुअर कहीं का ! ध्यान कहां रहता है तुम्हारा..! कितनी बार बताया है कि गुणा करने में हासिल बाद में जोडा जाता है। "
मैं नन्हीं सी जान सनसना कर रहा गया । उस समय रोना भी नहीं फूटा । उन्होंने फिर से एक नया गुणा का प्रश्न दिया जिसमें हासिल का हिसाब होना था । इस बार हल निकालने में कोई चूक नहीं हुयी और यह फलसफा तमाम उम्र के लिये याद हो गया कि गुणा करने में हासिल का हिसाब भूलना नहीं चाहिये नही ंतो समझो गणित में फेल।


आज पिताजी नहीं हैं, उन्हें गये हुये आज दो साल हो गये परन्तु उनकी दी हुयी हासिल को याद रखने की सीख खूब याद है.

सोचता हूं गणित का यह महत्वपूर्ण छोटा सा नियम आम जिंदगी में भी कितना जरूरी है कि गुणा करने में हासिल को बाद में जोडा जाता है।

पिताजी ! आपका यह यह नालायक बेटा अब भी उतना ही नासमझ है कि समझ ही नहीं पाता किसका हासिल कहां जोडना है?

पिताजी ! मुझे तो अब यह लगता है कि जिंदगी की गणित में कुछ नियम भी बदल गये हैं तभी तो कइयों ने मेरा हासिल चुराकर अपने में जोड लिया और कक्षा में अच्छे बच्चे होने का खिताब भी पा रहे हैं।

पिताजी आप जहां भी हैं मेरी इन बातो से दुखी मत होना क्योकि आपका यह बेटा आपके बताये नियम को कभी नहीं तोडेगा और जिंदगी के गुणा भाग में पीछे रह गये हासिल को सही जगह पर ही जोडूंगा भले कितने ही बेइमान सहपाठी क्यों न हो।

फुरसत में करेंगें तुझसे हिसाब-ऐ-जिंदगी,
अभी उलझे हैं हम , हासिल ऐ जिंदगी में..!

आप सभी मित्रों को मेरे पिता के शुभ स्मरण आर्शिवाद के साथ साथ बसंतोत्सव की हार्दिक शुभकामनाऐं !
text  selection lock by hindi blog tips