कविताकोश में मेरी यात्रा 6 जनवरी 2011 को प्रारंभ हुयी जब मैं पहली बार इस कोश से जुड़ा था। वास्तव में 5 जनवरी 2011 को मेरे जन्मदिवस के अवसर पर मेरे एक साहित्यिक मित्र ने मुझे इसके बारे में बताया। मुझे इस कोश का प्रारूप बडा आकर्षक लगा सो मैं तत्काल इससे जुड गया। आज इस कोश में दो हजारी यात्रा पूरी होने पर इच्छा हुयी कि यात्रा आरंभ करने से लेकर आज तक के पड़ावों केा लिपि बद्ध करू।
इस कोश में प्रारंभ मे मुझे रचना जोडने के लिये कविता कोश के उस लेख का सहारा लेना पडा जिसमें रचनाएँ जोड़ने का तरीका अंकित था। उस लेख को पढ़कर लगा कि शायद मैं भी अपना नाम इस कोश में अपना नाम और रचनाएँ आसानी से जोड सकता हूँ।
उन्हें समर्पित जिन्होंने अंतरजाल पर हिन्दी साहित्य के हजारों पन्नों को जोडा है
शनिवार, 17 सितंबर 2011
कविताकोश में मेरी दो हजारी यात्रा
शनिवार, 3 सितंबर 2011
कविताकोश का नया प्रारूप: योगदानकर्ता का महत्व पहचाना गया
अपने पिछली पोस्ट में मैने कविताकोश विवाद पर किसी प्रकार की अग्रेतर टिप्पणी न करने का विचार किया था परन्तु इधर कुछ नये तथ्य संज्ञानित होने के बाद स्वयं को लिखने से नहीं रोक पा रहा हूँ। अनूप भार्गव जी के नये पत्र की पहली पंक्ति में सारा सार निहित है कि-
‘‘अब अगर बात हो भी सकती है तो सिर्फ इस पर कि पहले गलती किसने की या किसकी गलती ज्यादा थी’’
मेरे विचार में अब कविताकोश पाँच वर्षो का हो चुका है सो यह बालक
‘‘अब अगर बात हो भी सकती है तो सिर्फ इस पर कि पहले गलती किसने की या किसकी गलती ज्यादा थी’’
मेरे विचार में अब कविताकोश पाँच वर्षो का हो चुका है सो यह बालक
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