इस वर्ष अगस्त का महीना कई कारणों से ‘कविताकोश ’के लिये ऐतिहासिक रहा। यही वह महीना है जब पाँच सालों से इन्टरनेट के माध्यम से हवा में कुलांचे मारते हुये कविताकोश नामक विमान ने जयपुर की धरती पर लैंडिग की। जून 2006 में मात्र 100 कविताओं के साथ इसकी उडान को शुरू करने वाले ललित कुमार के इस ने अब इसे 47000 से भी अधिक (इन पंक्तियों के लिखे जाने तक 47237) कविताओं का भारी भरकम जम्बो जेट बना डाला है। 2006 में जब इसकी शुरूआत हुयी तो इसके लिये ललित जी ने कविताकोश पुस्तिका में लिखा है-
उन्हें समर्पित जिन्होंने अंतरजाल पर हिन्दी साहित्य के हजारों पन्नों को जोडा है
गुरुवार, 25 अगस्त 2011
कविताकोश और इसके योगदानकर्ता: एक सिंहावलोकन
सोमवार, 8 अगस्त 2011
आभार...... कविताकोश !!
3 अगस्त 2011 का दिन मेरे लिये उत्साह का दिन था। अपना मेल बाक्स देख रहा था कि कविताकोश के संस्थापक ललित कुमार जी का मेल मिला लिखा था 7 अगस्त 2011 को जयपुर में कविकाकोश सम्मान समारोह 2011 में मुझे सम्मानित अतिथि के रूप में सम्मिलित होने के लिये आमंत्रित किया गया था। यूँ तो कविताकोश सम्मान समारोह 2011 में सम्मिलित होने संबंधी औपचारिक मेल काफी पहले आ गया था परन्तु इस मेल में मेरे लिये लक्ष्मी विलास होटल आरक्षित कक्ष तथा वाहन आदि का विवरण था। जयपुर मेरा पसंदीदा शहर है । मेरा छोटा भाई संजय जो साफ्टवेयर इंजीनियर है सपरिवार वहीं रहता है। संजय अक्सर लखनऊ आ जाता है परन्तु यह शिकायत करना नहीं भूलता कि दद्दा जी (वह मुझे इसी नाम से संबोधित करता है ) को तो जयपुर आने की फुरसत ही नहीं मिलती। कविताकोश के सौजन्य से मिले इस अवसर को मैं संजय की शिकायत का निराकरण करने के रूप में उपयोगी पाकर उत्साहित हो गया।
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